Tuesday, 10 June 2014

पांच रहस्यमय ढांचे(Five Mysterious Structure) : जिनका सच आज तक नहीं जान पायी दुनिया

दुनिया में हजारों साल पुराने कई ढांचे ऐसे हैं, जिनकी उत्पत्ति या निर्माण के बारे में किसी भी पुरातत्व विशेषज्ञ, इतिहासकार या वैज्ञानिक के पास जवाब नहीं हैं। ये स्ट्रक्चर आज भी मानव के लिए बड़े तिलिस्म बने हुए हैं।

इन स्थानों के बारे में कई वर्षों तक यह जानने की कोशिश की गई कि इन्हें किसने बनावाया होगा, क्यों बनवाया होगा या इनका उपयोग किसके लिए किया जाता था? ऐसे तमाम सवाल आज भी  अनउत्तरित हैं। हम आपको यहां ऐसे पांच रहस्यमय स्ट्रक्चर के बारे में यहां जानकारी दे रहे हैं।

1- मैक्सिको का टियाटिहुआकन शहर (Teotihuacan City of Mexico) :-
मैक्सिको सिटी (Mexico city) के ठीक बाहरी इलाके में टियाटिहुआकन स्थित है। यह पिरमिडों की एक खंडहर सिटी है। इस जगह का मूल नाम टियाटिहुआकन नहीं है। इसकी खोज एजटेक्स ने की थी और उसी ने यह नाम इस जगह को दिया था। दरअसल टियाटिहुआकन का अर्थ होता है प्लेस ऑफ द गॉड(Palce of God)। एजटेक्स का मानना था कि यह शहर मध्ययुग में अचानक प्रकट हुआ। 500 वर्ष पहले यह जगह खंडहर में बदल गई है। हालांकि इसके अस्तित्व को लेकर कोई भी अन्य अवधारणा प्रचलित नहीं है क्योंकि लिखित में भी इसके बारे में कुछ भी उपलब्ध नहीं है। फिर भी यह स्ट्रक्चर आज भी रहस्य बना हुआ है। इस बस्ती को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां 25000 लोग रहते रहे होंगे। इसका निर्माण अर्बन ग्रिड सिस्टम की तरह हुआ है, जिस तरह न्यूयार्क का हुआ है। यहां एक पिरामिड के अंदर जितनी भी हड्डियां मिली हैं, उससे पता चलता है कि बड़ी संख्या में यहां इंसानों का बलिदान हुआ होगा।

मेक्सिको का प्राचीन शहर टियाटिहुआकन

 दा पिरामिड ऑफ़ सन (The Pyramid of Sun),  टियाटिहुआकन का सबसे बड़ा ढाचा हैं।  

दा पिरामिड ऑफ़ सन 

2-अज़रक ओएसिस व्हील (Azraq Oasis Wheel) :-
ब्रिटेन की रायल एयरफोर्स के पायलट मैटलैंड 1927 में जब उड़ान पर थे, तब उन्होंने पहिए के समान 82 फीट से  230 फीट व्यास की ये सैकडो आकृतियां देखी थी। ये विचित्र आकृतियां सीरिया से लेकर जॉर्डन और सउदी अरब के आगे तक फैली हुई हैं। ये सारी आकृतियाँ पत्थरों से बनी हुई हैं।  रेतीले इलाके में इन आकृतियों के बारे में पुरातत्व वैज्ञानिकों का कहना है कि ये 2000 वर्ष से अधिक पुरानी हैं। लेकिन इन्हें किसने बनाया और क्यों बनाया इसका जवाब आज भी किसी के पास नहीं है। ऐसे में कई सवाल भी उठते हैं कि क्या यह जमीन पर यह काम किसी दैत्य का है या यह एलियन के लिए बनाए गए लांचपैड हैं।  हाल ही में वैज्ञानिकों ने इन आकृतियों के 45000 एरियल फ़ोटो लिए हैं। 



अज़रक ओएसिस व्हील - जॉर्डन 

3- सी ऑफ गैलिली के अंदर विशाल चट्टान का रहस्य (Ancient Lake Structure Beneath Sea Of Galilee) :-
इजरायली पुरातत्व विभाग के वैज्ञानिक 2003 से इसका रहस्य जानने में लगे हुए हैं। यह चट्टान दरअसल हजारों छोटे पत्थरों से बनी हुई और इसमें 230 फीट व्यास की यह आकृति बनी हुई है। इसकी ऊंचाई 39 फीट है। इस चट्टान का वजन 60,000 टन है। यह स्टोनहेंज से दोगुनी बड़ी और एफिल टॉवर से छह गुना अधिक वजन वाली। यह विशाल और प्राचीन सतह समुद्र की, लेकिन इसका प्राकृतिक तरीके निर्माण नहीं हुआ है। इस चट्टान के बारे में यह भी माना जा रहा है कि प्राचीन युग में इसका निर्माण किया गया होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह 2000 वर्ष से लेकर 12,000 वर्ष पुरानी हो सकती है।

सी ऑफ गैलिली के अंदर विशाल चट्टान

4-भुतिहा शहर नैन मडोल (Haunted City Nan Madol) : - 
टेमवेन द्वीप के पास यह हजारों वर्ष पुरानी खंडहर बस्ती है। यहां पास कुछ ही लोग रहते हैं, जो नैन मडोल से बुरी तरह भयभीत हैं। ये यहां जाने से भी इनकार करते हैं। माना जाता है कि यह अभिशापित जगह है। यहां आसपास आपको एक भी रेस्त्रां या अन्य चीजें भी नहीं मिलेंगी। इस जगह के बारे में भी सहीं जानकारी नहीं है। यहां 200 एक एकड़ में एक हजार से अधिक मानवनिर्मित द्वीप हैं। यह 800,000 टन बिल्डिंग मैटेरियल से बने हुए हैं। इनमें से तो एका वजन ही 50 टन है। ये चारो तरफ से पानी से घिरे हुए। ऑर्केलॉजिस्ट का मानना है कि ये पत्थर पड़ोसी द्वीपों से आएं होंगे।

भुतिहा शहर नैन मडोल


नैन मडोल का मेप
5- जियोसेक सर्किल : मर्डर वेधशाला ( Goseck Circle : The Murder Observatory) :-
यह जर्मनी के एक खंडहर शहर की एरियल तस्वीर है। इसे जियोसेक कहा जाने लगा, क्योंकि यहां जमीन के अंदर यह गोलाकार मैदान दिखाई दे रहा है। इसका व्यास 250 फीट है। इसे प्राचीन वेधशाला माना जा रहा है। जर्मनी के पुरातत्वविदों ने 11 साल यहां शोध किया, लेकिन उन्हें इसके बारे में सही जानकारी नहीं मिल सकी। उके अनुसार यह वेधशाला 7000 वर्ष पुरानी है

जियोसेक सर्किल

2004 - 2005 में Goseck Cirale को लकड़ियों के द्वारा पुनः बनाया गया तथा 21 दिसंबर 2005 में इसे जनता के लिए खोल दिया गया।

No comments:

Post a Comment