Friday 13 June 2014

पौराणिक कहानी - शिव पूजा में क्यों काम में नहीं लेते केतकी के फूल (केवड़े के पुष्प ) ?

हिन्दू धर्म में देवी - देवताओं के पूजन में सुगन्धित फूलो का बड़ा महत्व है, हम सभी देवी - देवताओं को प्रसन्न करने के लिए पूजन में सुगंधित पुष्प काम में लेते है। पर क्या आपको पता है कि शिवजी कि पूजा में केतकी (केतकी संस्कृत का शब्द है हिंदी में इसे केवड़ा कहते है) के फूल का प्रयोग वर्जित है।  आखिर ऐसा क्यों है? इसके बारे में हमारे धर्म ग्रंथो में एक कथा प्रचलित है जो इस प्रकार है :-



Ketaki Flower Or Kewra Flower
एक बार ब्रह्माजी व विष्णुजी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है। ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता होने के कारण श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे और भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ कह रहे थे। तभी वहां एक विराट ज्योतिर्मय लिंग प्रकट हुआ। दोनों देवताओं ने सर्वानुमति से यह निश्चय किया गया कि जो इस लिंग के छोर का पहले पता लगाएगा, उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा। 

Ketaki Pushap  Or Kewra Pushap

अत: दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग का छोर ढूढंने निकले। छोर न मिलने के कारण विष्णुजी लौट आए। ब्रह्माजी भी सफल नहीं हुए, परंतु उन्होंने आकर विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पहुँच गए थे। उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया। केतकी के पुष्प ने भी ब्रह्माजी के इस झूठ में उनका साथ दिया।  ब्रह्माजी के असत्य कहने पर स्वयं भगवान शिव वहां प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी की आलोचना की।

Shivling
दोनों देवताओं ने महादेव की स्तुति की, तब शिवजी बोले कि मैं ही सृष्टि का कारण, उत्पत्तिकर्ता और स्वामी हूँ। मैंने ही तुम दोनों को उत्पन्न किया है। शिव ने केतकी पुष्प को झूठा साक्ष्य देने के लिए दंडित करते हुए कहा कि यह फूल मेरी पूजा में उपयोग नहीं किया जा सकेगा। इसीलिए शिव के पूजन में कभी केतकी का पुष्प नहीं चढ़ाया जाता।

Other Interesting Post :-
भोजेश्वर मंदिर (Bhojeshwar Temple) - भोपाल - यहाँ है एक ही पत्थर से निर्मित विशव का सबसे बड़ा शिवलिंग (World's tallest shivlinga made by one rock)
कामाख्या मंदिर - सबसे पुराना शक्तिपीठ - यहाँ होती हैं योनि कि पूजा, लगता है तांत्रिकों व अघोरियों का मेला
तनोट माता मंदिर (जैसलमेर) - जहा पाकिस्तान के गिराए 3000 बम हुए थे बेअसर
तरकुलहा देवी (Tarkulha Devi) - गोरखपुर - जहाँ चढ़ाई गयी थी कई अंग्रेज सैनिकों कि बलि
Jangamwadi math (वाराणसी) : जहा अपनों की मृत्यु पर शिवलिंग किये जाते हे दान

No comments:

Post a Comment