Saturday 21 June 2014

सोन भंडार गुफा - राजगीर (बिहार) - इसमें छुपा है मोर्ये शासक बिम्बिसार का अमूल्य ख़ज़ाना

सोन भंडार गुफा - राजगीर (बिहार) - इसमें छुपा है मोर्ये शासक बिम्बिसार का अमूल्य ख़ज़ाना
बिहार का एक छोटा सा शहर राजगीर जो कि नालंदा जिले मे स्तिथ है कई मायनों मे मत्त्वपूर्ण है। यह शहर प्राचीन समय मे मगध कि राजधानी था, यही पर भगवान बुद्ध ने मगध के सम्राट बिम्बिसार को धर्मोपदेश दिया था।  यह शहर बुद्ध से जुड़े स्मारकों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।

इसी राजगिर में है सोन भंड़ार गुफ़ा जिसके बारे मे किवदंती है कि इसमें बेशकीमती ख़ज़ाना छुपा है, जिसे की आज तक कोइ नही खोज पाया है।  यह खजाना मोर्ये शासक बिम्बिसार का बताया जाता है, हालांकि कुछ लोग इसे पूर्व मगध सम्राट जरासंघ का भी बताते है। हालांकि इस बात के ज्यादा प्रमाण है कि यह खजाना बिम्बिसार का हि है क्योकि इस गुफ़ा के पास उस जेल के अवशेष है जहाँ पर बिम्बिसार को उनके पुत्र अजातशत्रु ने बंदी बना कर रखा था।

Front look of Son Bhandar Cave
चट्टानों को काटकर बनाई गई सोन भंडार गुफा         Image Credit
सोन भण्डार गुफा मे प्रवेश करते हि  10 . 4 मीटर लम्बा,  5 . 2  मीटर चोडा  तथा 1 . 5 मीटर ऊंचा  एक कक्ष आता है, इस कमरा खजाने कि रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए था।   इसी कमरे कि पिछली दीवर से खजाने तक पहूँचने का रास्ता जाता है। इस रास्ते का प्रवेश द्वार पत्थर कि एक बहुत बडी चट्टान नुमा दरवाज़े से बन्द किया हुआ है।  इस दरवाज़े को आज तक कोइ नही खोल पाया है।



Solider room in son bhandar cave
  सोन भण्डार गुफा के अन्दर सैनिको का कक्ष         Image credit 
गुफा की एक दीवार पर शंख लिपि मे कुछ लिखा है जो कि आज तक पढ़ा नही जा सका है। कहा जाता है की इसमें ही इस दरवाज़े को खोलने का तरीका लिखा है।

सोन भण्डार गुफा कि दीवार पर शंख लिपि मे लिखी जानकारी    Image Credit 
कुछ लोगो का यह भी  मानना है कि खजाने तक पहुचने का यह रास्ता वैभवगिरी पर्वत सागर से होकर सप्तपर्णी गुफाओ तक जाता है, जो कि सोन भंडार गुफा के दुसरी तरफ़ तक पहुँचती है। अंग्रज़ों ने एक बार तोप से इस चट्टान को तोड़ने कि कोशिश कि थीं लेकिन वो इसे तोड़ नही पाये।  तोप के गोले का निशाँ आज भी चट्टान पर मौजुद है।

The second cave at near son bhandar cave
सोन भंडार के पास स्तिथ दूसरी गुफा    Image Credit 
इस सोन भंड़ार गुफ़ा के पास ऐसी हि एक और गुफा है जो कि आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इसका सामने का हिस्सा गिर चुका है।  इस गुफा की दक्षिणी दीवार पर 6 जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां उकेरी गई है।

Jain Tirthankaras rock sculpture on Son bhandar cave's wall
दूसरी गुफा कि दीवार पर उत्कीर्ण जैन तीर्थंकरों कि मूर्तियां  Image Credit 
दोनों ही गुफाये तीसरी और चौथी शताब्दी मे चट्टानों को काटकर बनाई गई है।  दोनों ही गुफाओं के कमरे पोलिश किये हुए है जो कि इन्हे विशेष बनाती है, क्योकि इस तरह पोलिश कि हुईं गुफाये भरत मे बहुत कम है।इस बात के भी प्रमाण है की यह गुफाये कुछ समय के लिये वैष्णव सम्प्रदाय के अधीन भी रही थी क्योकि इन गुफ़ाओं के बाहर एक विष्णु जी कि प्रतिमा मिलि थी।  ष्णु जी की यह प्रतिमा इन गुफाओं के बाहर स्थापीत कि जानी थी।  पर मूर्ति की फिनिशिंग का काम पुर होने से पहले ही उन लोगो को, किसी कारणवश यह जगह छोड़ कर जाना पड़ा और यह मूर्ति बिना स्थपना के रह गई।  वर्तमान में यह मूर्ति नालंदा म्यूज़ियम मे रखी है।

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