साउथवेस्ट चीन के गुइझाऊ मे मिआओ जनजाति रहतीं है। इस मिआओ समुदाय के
बारे मे कहा जाता है कि "कुछ लोगों के लिए उनका इतिहास किताबो मे होता है
लेकिन मिआओ समुदाय के लिए उनका इतिहास उनके सिर पर होता है।" ऐसा मिआओ
समुदाय की एक विषेश परम्परा के कारण कहा जाता है जिसमे कि मिआओ समुदाय
की औरते अपने पूर्वजो (कई पीढ़ियों) के बालो से तैयार हेड ड्रेस (जिसे कि
आप एक तरह का विग भी कह सकते है ) पहनती है।
सुनने में आपको यह अचरज भरा लग सकता है लेकिन यह सत्य है। मिआओ समुदाय में
महिलाये कंघी करते वक़्त निकलने वाले बालो को कभी फेकती नही है, बल्कि
उन्हे इकट्ठा करती है। ये रिवाज़ यहाँ पर सदियों से जारी है और आज भी
इसका बडी कड़ाई से पालन होता है।
सदियो से इस तरह से इकट्ठे होते आ रहे बालो से मिआओ समुदाय कि स्त्रियां सिर पर पहने जाने वाली एक विशेष प्रकार कि हेड ड्रेस बनाती है, जिसे कि लकड़ी के बने सींगो के ऊपर बनाया जाता है। इसमें लकड़ी के सींगो का उपयोग इसलीए किया जाता है क्योकि मिआओ कबीले मे, हिन्दु धर्म कि तरह गायों को बहुत पवित्र माना जाता है।
इस तरह बानी हेड ड्रेस को जवान महिलाये तथा लड़कियाँ विशेष अवसरो पर पहनती है। प्रत्येक परिवार में यह विग माँ दवारा बेटी को विरासत के तौर पर दि जाती है।
बहुत पहले मिआओ समुदाय के पुरुष भी इस तरह कि हेड ड्रेस पहना करते थे लेकिन
अब केवल महिलाये ही यह पहनती है। मिआओ समुदाय की आबादी अब 5000 से भी कम
है।
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सदियो से इस तरह से इकट्ठे होते आ रहे बालो से मिआओ समुदाय कि स्त्रियां सिर पर पहने जाने वाली एक विशेष प्रकार कि हेड ड्रेस बनाती है, जिसे कि लकड़ी के बने सींगो के ऊपर बनाया जाता है। इसमें लकड़ी के सींगो का उपयोग इसलीए किया जाता है क्योकि मिआओ कबीले मे, हिन्दु धर्म कि तरह गायों को बहुत पवित्र माना जाता है।
इस तरह बानी हेड ड्रेस को जवान महिलाये तथा लड़कियाँ विशेष अवसरो पर पहनती है। प्रत्येक परिवार में यह विग माँ दवारा बेटी को विरासत के तौर पर दि जाती है।
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