उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में है कामेश्वर धाम। इस धाम के बारे में
मान्यता है कि यह, शिव पुराण मे वर्णित वही जगह है जहा भगवान शिव ने
देवताओं के सेनापति कामदेव को जला कर भस्म कर दिया था। यहाँ पर आज भी वह
आधा जला हुआ, हरा भरा आम का वृक्ष (पेड़) है जिसके पीछे छिपकर कामदेव ने
समाधी मे लीन भोले नाथ को समाधि से जगाने के लिए पुष्प बाण चलाया था।
कामेश्वर धाम कारो Image Credit |
भगवान शिव द्वारा कामदेव को भस्म करने कि कथा (कहानी) शिव पुराण मे इस प्रकार है। भगवान शिव कि पत्नी सती अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ मे अपने पति भोलेनाथ का अपमान सहन नही कर पाती है और यज्ञ वेदी मे कूदकर आत्मदाह कर लेती है। जब यह बात शिवजी को पता चलती है तो वो अपने तांडव से पूरी सृष्टि मे हाहाकार मचा देते है। इससे व्याकुल सारे देवता भगवान शंकर को समझाने पहुंचते है। महादेव उनके समझाने से शान्त होकर, परम शान्ति के लिए, गंगा तमसा के इस पवित्र संगम पर आकर समाधि मे लिन हो जाते है।
कामेश्वर धाम कारो Image Credit |
इसी कारण तारकासुर का उत्पात दिनो दिन बढ़ता जाता है और वो स्वर्ग पर अधिकार करने कि चेष्टा करने लगता है। यह बात जब देवताओं को पता चलती है तो वो सब चिंतित हो जाते है और भगवान शिव को समाधि से जगाने का निश्चय करते है। इसके लिए वो कामदेव को सेनापति बनाकर यह काम कामदेव को सोपते है। कामदेव, महादेव के समाधि स्थल पहुंचकर अनेकों प्रयत्नो के द्वारा महादेव को जगाने का प्रयास करते है, जिसमे अप्सराओ के नृत्य इत्यादि शामिल होते है, पर सब प्रयास बेकार जाते है।
अंत में कामदेव स्वयं भोले नाथ को जगाने लिए खुद को आम के पेड़ के पत्तो के पीछे छुपाकर शिवजी पर पुष्प बाण चलाते है। पुष्प बाण सीधे भगवान शिव के हृदय मे लगता है, और उनकी समाधि टूट जाति है। अपनी समाधि टूट जाने से भगवान शिव बहुत क्रोधित होते है और आम के पेड़ के पत्तो के पिछे खडे कामदेव को अपने त्रिनेत्र से जला कर भस्म कर देते है।
आम का पेड़ , कामेश्वर धाम कारो |
त्रेतायुग में इस स्थान पर महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान श्रीराम लक्ष्मण आये थे जिसका उल्लेख बाल्मीकीय रामायण में भी है। अघोर पंथ के प्रतिष्ठापक श्री कीनाराम बाबा की प्रथम दीक्षा यहीं पर हुर्इ थी। यहां पर दुर्वासा ऋषि ने भी तप किया था।
बताते हैं कि इस स्थान का नाम पूर्व में कामकारू कामशिला था। यही कामकारू पहले अपभ्रंश में काम शब्द खोकर कारूं फिर कारून और अब कारों के नाम से जाना जाता है।
रानी पोखरा - कामेश्वर धाम कारो Image Credit |
श्री कामेश्वर नाथ शिवालय :
यह शिवालय रानी पोखरा के पूर्व तट पर विशाल आम के वृक्ष (पेड़) के नीचे स्थित है। इसमें स्थापित शिवलिंग खुदाई में मिला था जो कि ऊपर से थोड़ा सा खंडित है।
सूर्य प्रतिमा कामेश्वर धाम कारो Image Credit |
इस शिवालय कि स्थापना अयोध्या के राजा कमलेश्वर ने कि थी। कहते है की यहां आकर उनका कुष्ट का रोग सही हो गया था इस शिवालय के पास मे हि उन्होने विशाल तालाब बनवाया जिसे रानी पोखरा कहते है।
नंदी कामेश्वर धाम कारो Image Credit |
बालेश्वर नाथ शिवलिंग के बारे मे कहा जाता है कि यह एक चमत्कारिक शिवलिंग है। किवदंती है की जब 1728 में अवध के नवाब मुहम्मद शाह ने कामेश्वर धाम पर हमला किया था तब बालेश्वर नाथ शिवलिंग से निकले काले भौरो ने जवाबी हमला कर उन्हे भागने पर मजबूर कर दिया था।
भैरव प्रतिमा कामेश्वर धाम कारो Image Credit |
अचलेश्वर महादेव - धौलपुर(राजस्थान) - यहाँ पर है दिन मे तीन बार रंग बदलने वाला शिवलिंग
लक्ष्मणेश्वर महादेव - खरौद - यहाँ पर है लाख छिद्रों वाला शिवलिंग (लक्षलिंग)
भोजेश्वर मंदिर (Bhojeshwar Temple) - भोपाल - यहाँ है एक ही पत्थर से निर्मित विशव का सबसे बड़ा शिवलिंग
यह है भगवान शिव के 19 अवतार
पौराणिक कहानी - शिव पूजा में क्यों काम में नहीं लेते केतकी के फूल (केवड़े के पुष्प ) ?
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